Saturday, April 23, 2011

Silent win !!

The rising sun



सूरज से पहेले जाग जाती हू हर रोज़ ,
ये मजबूरी नहीं शौक है मेरा ,
बताती हू उस निकलती रौशनी को,
तुम से ज्यादा चमकने की चाहत है मेरी || 

मुझसे शर्मा कर छिप जाओ बादलो के  पीछे,
आज फिर से मेरी जीत हुई है,
कल फिर खेलेंगे ये खेल पर मुझे 
मुझे तो जीत की आदत सी हुई है ||


Birds


 पंछियों को पिंजरे से आज़ाद करती हू  ,
फिर देखती रहती हू उन्हें निखरते हुए,
चेहरे  की व़ोह हल्की सी मुस्कराहट उन्हें कहती है ,
मेरे सपनो से ' उची'  उड़ान नहीं भर पाओगे तुम ||

थक कर रुक गए हो तुम,
आज फिर से मेरी जीत हुई है,
कल फिर खेलेंगे ये खेल पर मुझे 
मुझे तो जीत की आदत सी हुई है ||



2 comments:

Unknown said...

थक कर रुक गए हो तुम,
आज फिर से मेरी जीत हुई है,
कल फिर खेलेंगे ये खेल पर मुझे
मुझे तो जीत की आदत सी हुई है ||....i also love winning moment !!

Jai Ho Mangalmay HO

FirstTimeMother said...

Me too love the winning moments...

Even its feel boost our confidence to the peak :)